शेकेन बेबी सिंड्रोम के लक्षण व उपचार। Shaken Baby Syndrome in Hindi
जनवरी 13, 2020 Brain Diseases 8376 ViewsShaken Baby Syndrome Meaning in Hindi
बड़ो बच्चो में कई तरह की बीमारियों के बारे में आपको पता होगा, लेकिन छोटे शिशु में भी बहुत से समस्या देखने को मिलती है, जिनमे से एक समस्या शेकेन बेबी सिंड्रोम है। यह एक ऐसा रोग है जो शिशु के मस्तिष्क को प्रभावित करता है और कुछ लोगो में बड़े होने के बाद भी इस समस्या से परेशान रहते है। यह आमतौर पर माता-पिता व किसी व्यक्ति के क्रोध से मिलता है। ऐसा अक्सर उन शिशु में देखने को मिलता है जो तेज से रोते है और कुछ देर में रोना बंद कर देते है क्योंकि उनको गोद में लेकर घुमाना पड़ता है। शिशु की त्वचा बहुत ज्यादा कोमल व मांसपेशिया कमजोर होती है जिसका बहुत ध्यान देना पड़ता है, ताकि उनको किसी तरह का नुकसान न हो। यदि शिशु की सिर को जोर झटका या खिचाव हो जाये तो मस्तिष्क में चोट लगने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा शिशु आगे या पीछे की ओर मूड जाता है तो मस्तिष्क की समस्या और बढ़ जाती है। चलिए इस लेख में आपको शेकेन बेबी सिंड्रोम (Shaken Baby Syndrome) के बारे में विस्तार से बतायेंगे।
- शेकेन बेबी सिंड्रोम के कारण क्या है ? (What are the Causes of Shaken Baby Syndrome in Hindi)
- शेकेन बेबी सिंड्रोम के लक्षण क्या है ? (What are the Symptoms of Shaken Baby Syndrome in Hindi)
- शेकेन बेबी सिंड्रोम को नियंत्रित कैसे करें ? (How to Control Shaken Baby Syndrome in Hindi)
- शेकेन बेबी सिंड्रोम से बचाव ? (Prevention of Shaken Baby Syndrome in Hindi)
शेकेन बेबी सिंड्रोम के कारण क्या है ? (What are the Causes of Shaken Baby Syndrome in Hindi)
- अक्सर शिशु को शेकेन बेबी सिंड्रोम तब होता है, जब कोई व्यक्ति बल लगाकर शिशु को हिलाता व डुलाता है। बहुत से व्यक्ति को शिशु पर क्रोध आता है जब शिशु अत्यधिक रोने लगता है और शांत नहीं होता है और शिशु को शांत कराने के लिए क्रोध में हिलाने डुलाने लगते है।
- जैसा की आपको पता छोटे शिशु की मांसपेशिया व गर्दन बहुत नाजुक होती है। जिसके लिए शिशु के सिर को हमेशा हाथ लगाकर सहारा देना पड़ता है। जब किसी शिशु को अनियनियत्रित हिला या डुला दिया जाता है तो शिशु में अनियंत्रित रूप से हो जाता है।
- जबरदस्ती हिलाने पर शिशु के मस्तिष्क पर असर पड़ता है। जैसे खून का बहाव, मस्तिष्क में सूजन, नील पड़ जाना आदि। (और पढ़े – डिमेंशिया के कारण)
शेकेन बेबी सिंड्रोम के लक्षण क्या है ? (What are the Symptoms of Shaken Baby Syndrome in Hindi)
शेकेन बेबी सिंड्रोम के निम्नलिखित लक्षण एव संकेत नजर आते है।
- अचानक बुखार हो जाना।
- शिशु की त्वचा पीला या नीला हो जाना।
- कोमा में चले जाना।
- लकवा मार देना।
- ठीक से भोजन करने में असमर्थ होना।
- सांस लेने में कठिनाई होना।
- अत्यधिक चिड़चिड़ापन हो जाना।
- उतावलापन नजर आना।
- जागने में समस्या होना।
- कुछ बच्चो के शरीर पर चोट नजर आ सकती है। लेकिन शारीरिक चोट के लक्षण नजर नहीं भी आ सकते है। कुछ मामलो में शिशु की त्वचा में नीलापन नजर आ सकता है।
- बहुत से शेकेन बेबी सिंड्रोम के मामले गंभीर नहीं होते है बल्कि सामान्य नजर आते है। इसके अलावा कुछ शिशु में स्वास्थ्य संबंधित समस्या बढ़ सकती है।
- कुछ तरह के चोट और स्थितिया दोनों एक दूसरे से भिन्न होती है। जैसे की आंखो और मस्तिष्क में खून का बहना, हड्डियों में चोट लग जाना, रीढ़ की हड्डी में चोट आदि हो सकता है। शेकेन बेबी सिंड्रोम से ग्रस्त बच्चे में बाल कुपोषण अधिक नजर आता है। (और पढ़े – स्लिप डिस्क क्या है)
शेकेन बेबी सिंड्रोम को नियंत्रित कैसे करें ? (How to Control Shaken Baby Syndrome in Hindi)
शेकेन बेबी सिंड्रोम की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कुछ निम्न तरीके अपना सकते है।
- अगर आपके शिशु की रीढ़ की हड्डी में किसी तरह का चोट लगा है तो व्यक्ति उसे आराम से हिलाये डुलाये ताकि शिशु की गर्दन और सिर मूड न पाए।
- शिशु की छाती पर हमेशा हल्का दबाव डालना चाहिए। अगर आप शिशु की मालिश के लिए हल्के हाथ का उपयोग करे ताकि हड्डियों पर अधिक दबाव न पड़े। अगर शिशु में सांस लेने की गति नहीं हो रही है , तो शिशु को मुँह से सांस दे सकते है। छाती को हल्के हाथ से दबाव करे व दबाव हल्का व तेज होना चाहिए।
- अगर आपका शिशु एक साल से कम है, तो उनकी छाती पर दो उंगलियों से मालिश करे। इसके अलावा एक वर्ष से अधिक आयु का शिशु हो रहा है एक हाथ रख सकते है। दूसरे हाथ से शिशु के माथे को पीछे की और झुकाये रखना चाहिए। शिशु की रीढ़ की हड्डी में दर्द महसूस होने प्रे शिशु को ंनीचे की और झुकाकर जबड़े को बाहर की और लेते है। (और पढ़े – विटामिन डी के फायदे)
शेकेन बेबी सिंड्रोम से बचाव ? (Prevention of Shaken Baby Syndrome in Hindi)
- छोटे बच्चो का ध्यान रखना माता पिता के लिए बहुत आवश्यक होता है। अगर आप अपने बच्चे का ठीक से ध्यान नहीं रख पा रही है तो आपको किसी अन्य की मदद लेनी चाहिए।
- छोटे शिशु बहुत ही प्यार व नम्रता से रखा जाना चाहिए, उनसे गुस्से में ध्यान रखने से उनपर अलग तरह का प्रभाव पड़ेगा।
- अगर मानसिक रुप से बहुत तनाव में है तो आपको किसी कन्सिल में जाना चाहिए तनाव मुक्त होने में मदद मील सके।
- चिकिस्तक आपको मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य चिकिस्तक से संपर्क करवा सकते है।
अगर आपको शेकेन बेबी सिंड्रोम के बारे अधिक जानकारी चाहिए तो शिशु विशेषज्ञ चिकिस्तक (Pediatric) से संपर्क करें।
हमारा उद्देश्य आपको रोगो के प्रति जानकारी देना है हम आपको किसी तरह के दवा, उपचार, सर्जरी की सलाह नहीं देते है। आपको अच्छी सलाह केवल एक चिकिस्तक दे सकता है क्योंकि उनसे अच्छा दूसरा नहीं होता है।