अप्लास्टिक एनीमिया क्या हैं। Aplastic Anemia in Hindi
दिसम्बर 29, 2020 Lifestyle Diseases 2796 Viewsअप्लास्टिक एनीमिया क्या है ? (Aplastic Anemia Meaning in Hindi)
अप्लास्टिक एनीमिया एक तरह का रक्त विकार है जो रक्त में कोशिकाओं को प्रभावित करता है। जैसे एनीमिया विकार महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है, उसी तरह अप्लास्टिक एनीमिया महिला और पुरुष दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है। हमारे शरीर में रक्त बनाने की प्रक्रिया चलती रहती है और रक्त में नए कोशिका मिलकर बनता है। यदि शरीर में नए रक्त कोशिका निर्माण कार्य में रुकावट होने लगती है तो अप्लास्टिक एनीमिया की समस्या उत्पन्न हो जाती है। अप्लास्टिक एनीमिया एक तरह की खतरनाक स्तिथि मानी जाती है, यह किसी भी उम्र के लोगो को हो सकती है। हालांकि इस विकार के सटीक लक्षण नजर नहीं आते है और यह धीरे- धीरे विकसित और गंभीर होते है। इसके अलावा बोनमेरो के अंदर स्टेम कोशिकाओं को क्षति होने से अप्लास्टिक एनीमिया हो सकती है। कुछ वैज्ञानिक के अनुसार ऑटोइम्युन रोग के कारण अप्लास्टिक एनीमिया विकार विकसित होने का जोखिम लगा रहता है। ऐसा, इसलिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बोन मेरो के भीतर स्टेम कोशिकाओं को क्षति पहुंचाने लगते है। कुछ लोगो में पुरानी बीमारी इतिहास होने से अप्लास्टिक एनीमिया विकार का जोखिम बन सकता है। भारत स्वास्थ्य केंद्र के अनुसार अप्लास्टिक एनीमिया से हर साल कुछ मामले सामने आते है। यदि आपको अप्लास्टिक एनीमिया के लक्षण नजर आ रहे है तो चिकिस्तक से संपर्क कर निदान व उपचार करवाएं। चलिए आज के लेख में आपको अप्लास्टिक एनीमिया क्या हैं ? के बारे में विस्तार से बताएंगे।
- अप्लास्टिक एनीमिया के कारण क्या हैं ? (Causes of Aplastic Anemia in Hindi)
- अप्लास्टिक एनीमिया के लक्षण क्या हैं ? (Symptoms of Aplastic Anemia in Hindi)
- अप्लास्टिक एनीमिया का परीक्षण ? (Diagnoses of Aplastic Anemia in Hindi)
- अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज क्या हैं ? (Treatments for Aplastic Anemia in Hindi)
अप्लास्टिक एनीमिया के कारण क्या हैं ? (Causes of Aplastic Anemia in Hindi)
अप्लास्टिक एनीमिया का मुख्य कारण ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होता है। यह विकार प्रतिशा प्रणाली के स्वस्थ बोन मेरो को खराब करने लगता है और अन्य समस्या का जोखिम बढ़ाता है। इसके अलावा शरीर की कमजोर प्रतिशा प्रणाली होने से अप्लास्टिक एनीमिया होने की संभावना रहती है। चिकिस्तक के अनुसार कुछ निम्न समस्या अप्लास्टिक एनीमिया का कारण हो सकते है।
- जैसे कैंसर होना।
- किसी तरह के संक्रमण होने से अप्लास्टिक एनीमिया का जोखिम हो सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान अप्लास्टिक एनीमिया हो सकता है।
- हेपेटाइटिस होने के कारण अप्लास्टिक एनीमिया की समस्या हो सकती है।
- कीटनाशक के संपर्क में आने से अप्लास्टिक एनीमिया का खतरा हो सकता है।
- कीमोथेरेपी दवाओं के कारण कुछ लोगो में अप्लास्टिक एनीमिया की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- रूमेटाइड आर्थराइटिस होने के कारण अप्लास्टिक एनीमिया का जोखिम हो सकता है।
- कुछ ऐसे भी विकार है जो लाल रक्त कोशिकाओं के निर्मणा में बाधा उत्पन्न करते है और एनीमिया या अप्लास्टिक एनीमिया का कारण बनते है। कुछ लोगो में पारिवारिक समस्या या अनुवांशिक समस्या हो सकती है।(और पढ़े – एनीमिया के कारण क्या है)
अप्लास्टिक एनीमिया के लक्षण क्या हैं ? (Symptoms of Aplastic Anemia in Hindi)
अप्लास्टिक एनीमिया के सटीक लक्षण नजर नहीं आते है, लेकिन कुछ समस्या के आधार पर लक्षण की पहचान की जाती है।
- जैसे बुखार आना।
- सिरदर्द होना।
- नाक से खून आना।
- त्वचा पर लाल चकत्ते आना।
- मसूड़ों से खून आना।
- चक्कर आना।
- चोट लगने पर रक्त स्राव होना।
- संक्रमण का जोखिम बार बार होना।
- हृदय की गति बढ़ना।
- त्वचा में पीलापन।
- थकान महसुस करना।
- सांस लेने में कठिनाई होना। (और पढ़े – कोरोना वायरस के लक्षण क्या है)
अप्लास्टिक एनीमिया का परीक्षण ? (Diagnoses of Aplastic Anemia in Hindi)
- अप्लास्टिक एनीमिया एक तरह का गंभीर विकार है जिसके लिए तुरंत निदान करवाने की आवश्यकता होती है। अप्लास्टिक एनीमिया का निदान करने के लिए, चिकित्सक एक माइक्रोस्कोप के तहत अस्थि मज्जा और रक्त की कोशिकाओं की जांच करते है। रक्त परीक्षण के अलावा कुछ मामलो में अस्थि मज्जा आकांक्षा और बायोप्सी भी कर सकते है। हालांकि इस परीक्षण के दौरान, स्थानीय संवेदनाहारी के तहत विशेष सुई के साथ हिपबोन से अस्थि मज्जा का एक नमूना निकाला जाता है। चिकित्सक रक्त कोशिकाओं की संख्या की जांच करेंगे, जिसमें न्युट्रोफिल के रूप में जानी जाने वाली सफेद कोशिकाएं, प्लेटलेट्स के रूप में जानी जाने वाली कोशिकाएं, और युवा, लाल कोशिकाओं को रेटिकुलोसाइट्स के रूप में जाना जाता है।
- चिकिस्तक गुर्दे के कार्य का अध्ययन भी कर सकता है या अन्य संबंधित परीक्षण की सलाह दे सकता है। एचएलए-टाइपिंग, एक प्रयोगशाला रक्त परीक्षण, आमतौर पर यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि रोगियों को उपचार के दौरान प्रतिरक्षा प्रणाली-संगत रक्त और मज्जा उत्पाद प्राप्त हों।चिकित्सक रक्त कोशिकाओं की संख्या की जांच करते है, जिसमें ज्ञात सफेद कोशिकाएं भी शामिल है। (और पढ़े – डायलिसिस क्यों किया जाता है)
अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज क्या हैं ? (Treatments for Aplastic Anemia in Hindi)
- अप्लास्टिक एनीमिया का इलाज में मरीज के लक्षण को ठीक करने का प्रयास किया जाता है, ताकि बॉन मेरो नई कोशिकाएं बनाने का कार्य करने लगे। बहुत से मरीज में अप्लास्टिक एनीमिया होने पर खून व प्लेटेट चढ़ाने की आवश्यकता पड़ जाती है। ऐसे में मरीज को संक्रमण से बचाने के लिए एंटीबायोटिक दवा की खुराक दे सकते है।
- कुछ मामलो में चिकिस्तक मरीज का बोन मारो ट्रांसप्लांट कर सकते है ऐसा इसलिए लंबे समय नयी कोशिका का निर्माण नहीं हो पा रहा है। असामन्य कोशिका जो अन्य कोशिका को क्षति पहुंचाते है, उनको हटाने के लिए कीमोथेरेपी दवा की खुराक दे सकते है। कोशिकाओं के कार्य को सुचारु करने के लिए बोन मेरो ट्रांसप्लांट कर सकते है।
- बोन मेरो ट्रांसप्लांट होने के बाद कुछ दवाएं देते है ताकि नयी कोशिकाओं का निर्मणा तेजी से होने लगे। कोशिका बनने से अप्लास्टिक एनीमिया ठीक होने लगता है।
- जब शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता में कमजोरी आती है तो अनेक तरह की बीमारिया अपने चपेट में लेने लगती है और अप्लास्टिक एनीमिया का जोखिम बढ़ता है। इसलिए चिकिस्तक पहले रोगप्रतिरोधक क्षमता में सुधार करवाता है और संक्रमण से बचाव करने के लिए कुछ एंटीबायोटिक दवा की खुराक देते है। (और पढ़े – कीमोथेरेपी कैसे किया जाता है)
हमें आशा है की आपके प्रश्न अप्लास्टिक एनीमिया क्या हैं ? का उत्तर इस लेख के माध्यम से दे पाएं।
अगर आपको अप्लास्टिक एनीमिया के बारे में अधिक जानकारी व इलाज करवाना है, तो (Hematologist) से संपर्क कर सकते हैं।
हमारा उद्देश्य केवल आपको लेख के माध्यम से जानकारी देना है। हम आपको किसी तरह दवा, उपचार की सलाह नहीं देते है। आपको अच्छी सलाह केवल एक चिकिस्तक ही दे सकता है। क्योंकि उनसे अच्छा दूसरा कोई नहीं होता है।