पैर दर्द के लिए आयुर्वेदिक उपचार। Ayurvedic Treatments for Foot Pain in Hindi.
सितम्बर 29, 2020 Lifestyle Diseases 4019 ViewsFoot Pain Meaning in Hindi.
पैरो में किसी तरह के चोट लगने पर या फ्रैक्चर होने पर दर्द होना सामान्य बात है, किंतु बिना किसी कारण के पैर में दर्द होना यह सामान्य बात नहीं है। इसके अलावा कई बार पोषक तत्वों की कमी होने से या खराब जीवनशैली होने से पैर दर्द हो सकता है। इसके लिए आप अपने जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव जैसे सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करना व आहार में ताजे हरी सब्जियां, दूध, दही, फल, जौ, मूंग दाल आदि शामिल कर पैर की समस्या को ठीक कर सकते है। लेकिन जिन लोगो की पैर की समस्या पुराने समय है और दवाइयां खाने पर कोई खास परिणाम स्पष्ट न हो तो ऐसे में आयुर्वेदिक उपचार और जड़ीबूटियां बहुत उपयोगी साबित हो सकते है। आयुर्वेदिक जड़ीबूटियां आसानी से बाजार में मिल जाती है, लेकिन जड़ीबूटियों का उपयोग केवल चिकिस्तक के परामर्श से करें। हालांकि आयुर्वेदिक उपचार में हर समस्या के लिए अलग विधि और थेरेपी का प्रयोग होता है। कई लोग सोच रहे होंगे पैर दर्द में कौन सी जड़ीबूटी का उपयोग करे ? तो चलिए आज के लेख में हम आपको पैर दर्द (Foot Pain Meaning In Hindi) दूर करने के आयुर्वेदिक उपचार के बारे में बताएंगे।
पैर दर्द को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार क्या हैं ? (What are the Ayurvedic Treatments for Foot Pain in Hindi)
पैर दर्द की समस्या को ठीक करने के लिए निम्न जड़ी बूटियों और आयुर्वेदिक उपचार का उपयोग किया जाता है। चलिए आगे बताते हैं।
जड़ी बूटिया –
- अश्वगंधा – पैर दर्द की समस्या के लिए अश्वगंधा जड़ीबूटी बहुत उपयोगी मानी जाती है। इस जड़ी बूटी में सूजनरोधी व दर्दरोधी गुण होते है जो पेरो के सूजन व दर्द से आराम दिलाता है। अश्वगंधा का उपयोग के चूर्ण या तेल दोनों तरह से कर सकते है, किंतु चिकिस्तक के निर्देश के अनुसार करे। जैसा की आपको पता है अश्वगंधा एक लोकप्रिय जड़ीबूटी है जो मांसपेशियो में हो रही तकलीफ और ऊतकों की कमी को दूर करने में उपयोगी माना जाता है।
- अदरक – अदरक में बहुत से औषधीय गुण होते है जो किसी भी प्रकार के दर्द व सूजन को कम करता है। दर्द को ठीक करने के लिए कुछ लोग भोजन के साथ लेना पसंद करते है। अदरक न केवल दर्द को कम करता है बल्कि कब्ज, आर्थराइटिस, अस्थमा जैसी बीमारियों में लाभदायक होता है। अदरक से बने सोंठ का उपयोग शहद व सेंधा नमक के साथ उपयोग कर सकते है। (और पढ़े – अदरक के स्वास्थ्य लाभ)
- अरंडी – अरंडी एक ऐसी जड़ीबूटी है जिसका उपयोग खासतौर पर जोड़ो के दर्द को दूर करने के लिए किया जाता है। चिकिस्तक अरंडी का उपयोग अर्क, तेल या पेस्ट में करने की सलाह दे सकते है। अरंडी जड़ीबूटी हड्डियों से संबंधित बीमारी जैसे आर्थराइटिस, आस्टियो आर्थराइटिस में भी फायदेमंद होता है।
- निर्गुंडी – निर्गुंडी एक ऐसी जड़ीबूटी है जिसका उपयोग तंत्रिका तंत्र के ऊतक पर किया जाता है। इसमें कुछ विशेष गुण उपस्तिथ है जो नसों के दर्द व ऐंठन से आराम दिलाती है। निर्गुंडी की पत्तिया गठिया के सूजन व दर्द में उपयोगी होती है। इसके अलावा पैर के दर्द में भी निर्गुंडी फायदेमंद होती है। चिकिस्तक निर्गुंडी का उपयोग अर्क या काढ़े के रूप में करने की सलाह दे सकते है।
- लौंग – आयुर्वेद में लौंग का उपयोग जड़ीबूटी के रूप में करते है। पैर के दर्द व मांसपेशियो में अकड़न की समस्या को लौंग तेल से मालिश कार ठीक कर सकते है।
आयुर्वेदिक उपचार – Ayurvedic Treatment
- बस्ती – बस्ती चिकित्सा में रोगी व्यक्ति को गुदा मार्ग की सहायता से काढ़ा, तेल या पेस्ट दिया जाता है। बस्ती कर्म में देवदारु, रसना या वच जैसी जड़ीबूटियों का उपयोग किया जाता है। इस उपचार का उपयोग पथरी, दौरे व मूत्र संबंधित विकारो में किया जाता है। इसके अलावा बस्ती कर्म गठिया व हड्डियों की समस्या के लिए लाभकारी होता है, इसलिए चिकिस्तक गठिया के पैर दर्द (Foot Pain Meaning in Hindi) में आयुर्वेदिक उपचार में बस्ती कर्म की सलाह दे सकते हैं। (और पढ़े – हड्डियों में फ्रैक्चर की समस्या)
- स्नेहन – स्नेहन पंचकर्म में शरीर के आंतरिक और बाहरी को चिकना करते है जिसमे जमे अमाशय को पतला कर बाहर निकाल लिया जाता है। स्नेहन में तेल या धी जड़ीबूटियों का उपयोग करते है। इस चिकित्सा का उपयोग त्वचा से जुडी समस्या में अधिक किया जाता है। स्नेहन पंचकर्म आर्थराइटिस, गठिया से उत्पन्न पैर दर्द से राहत दिलाने में फायदेमंद होता हैं। (और पढ़े – कब्ज का उपचार)
- पद अभ्यंग – पद अभ्यंग में औषधीय तेलों से पैरो की मालिश की जाती है। इस प्रक्रिया से पुरे शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार होता है। इस चिकित्सा में शरीर को अच्छी ऊर्जा मिलती है और शरीर के अकड़न को कम करने में मदद करता है। पद अभ्यंग उपचार गठिया, ऑस्टियो आर्थराइटिस जैसी समस्या में प्रभावकारी होता है। पद अभ्यंग में चिकिस्तक किसी भी औषधीय तेल का चुनाव कर सकते हैं। (और पढ़े – गठिया के घरेलु उपचार)
- विरेचन – विरेचन का उपयोग मुख्यतौर पर गैस्ट्रो व पित्त की समस्या को बाहर निकालने के लिए किया जाता है। इसे एक तह से सफाई चिकित्सा कहा जाता है। विरेचन उपचार का उपयोग आमतौर पर जठरांत्र, पीलिया व त्वचा की बीमारियों के लिए किया जाता है। इस उपचार पद्धति में गर्म तरल आहार जैसे किसी मिट का सुप आदि दिया जाता है। हालांकि विरेचन उपचार का उपयोग मरीज की स्तिथि के आधार पर करते है। इसके अलावा गठिया से उत्पन्न पैर दर्द को दूर करने में विरेचन लाभदायक होता है। (और पढ़े – अवसाद रोकने के आयर्वेदिक उपचार)
हमारा उद्देश्य केवल आपको लेख के माध्यम से जानकारी देना है। हम आपको किसी तरह दवा, उपचार की सलाह नहीं देते है। आपको अच्छी सलाह केवल एक चिकिस्तक ही दे सकता है। क्योंकि उनसे अच्छा दूसरा कोई नहीं होता है।