हाइपोथॉयराडिज्म क्या होता हैं । Hypothyroidism in Hindi
दिसम्बर 15, 2020 Lifestyle Diseases 10287 Viewsहाइपोथॉयराडिज्म क्या होता हैं (Hypothyroidism Meaning in Hindi)
हाइपोथायरायडिज्म को दूसरे शब्दो में अंडरएक्टिव थायरॉयड भी कहा जाता है, यह तब होता है जब आपका शरीर पर्याप्त थायराइड हार्मोन का उत्पादन नहीं करता है। थायरॉयड तितली के आकार की छोटी ग्रंथि है जो आपके गर्दन के पीछे स्तिथ है। थायराइड हार्मोन शरीर को ऊर्जा का उपयोग करने के तरीके को नियंत्रित करते हैं, इसलिए वे आपके शरीर के लगभग हर अंग को प्रभावित करते हैं, यहां तक कि जिस तरह से आपका दिल धड़कता है। यदि थायराइड हार्मोन पर्याप्त न हो, तो शरीर के बहुत से कार्य की गति धीमी हो जाती है। अंडरएक्टिव थायरॉयड पुरुषो के मुकाबले महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है। यह सामान्यतौर पर लोगो को 60 साल के बाद कभी भी प्रभावित कर सकती है। यदि नियमित रक्त परीक्षण किया जाए तो इसके बारे में जान सकते है और उपचार शुरू कर सकते है। कुछ ऐसे विकार है जो थायरॉयड के जोखिम को बढ़ा सकते है, जैसे पिट्यूरी रोग, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर व आयोडीन की कमी विकार आदि। चलिए आज के लेख में आपको हाइपोथॉयराडिज्म क्या होता हैं? के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।
- हाइपोथॉयराडिज्म के कारण ? (Causes of Hypothyroidism in Hindi)
- हाइपोथॉयराडिज्म के लक्षण ? (Symptoms of Hypothyroidism in Hindi)
- हाइपोथॉयराडिज्म का निदान ? (Diagnoses of Hypothyroidism in Hindi)
- हाइपोथॉयराडिज्म का उपचार ? (Treatments of Hypothyroidism in Hindi)
हाइपोथॉयराडिज्म के कारण ? (Causes of Hypothyroidism in Hindi)
हाइपोथॉयराडिज्म एक सामान्य स्तिथि है जो पुरुषो की तुलना में महिलाओं को अधिक होता है। इसका जोखिम समय और उम्र के साथ बढ़ता रहता है। हालांकि हाइपोथॉयराडिज्म के सामान्य कारण में शामिल है।
- हाशिमोटो की बीमारी – हशिमोटो रोग हाइपोथायरायडिज्म का सबसे आम कारण में से एक है। यह रोग एक स्व-प्रतिरक्षित विकार है। इस बीमारी के साथ, व्यक्ति के प्रतिरक्षा प्रणाली थायरॉयड को प्रभावित करती है। इसके अलावा थायराइड में सूजन हो जाता है और पर्याप्त थायराइड हार्मोन नहीं बना पाता हैं।
- थायरॉयडिटिस, या थायरॉयड की सूजन – थायराइडिटिस आपके थायरॉयड की सूजन है जो आपके थायरॉयड ग्रंथि से रिसाव के लिए संग्रहीत थायराइड हार्मोन का कारण बनता है। सबसे पहले, रिसाव रक्त में हार्मोन के स्तर को बढ़ाता है, जिससे हाइपरथायरायडिज्म होता है,
- थायराइड का विकिरण उपचार – रेडियोधर्मी आयोडीन, हाइपरथायरायडिज्म के लिए सामान्य उपचार, धीरे-धीरे थायरॉयड की कोशिकाओं को नष्ट कर देता है। ज्यादातर लोग जो रेडियोधर्मी आयोडीन उपचार प्राप्त करते हैं, उनमे हाइपोथायरायडिज्म विकसित करते हैं। डॉक्टर विकिरण के साथ सिर या गर्दन के कैंसर वाले लोगों का इलाज करते हैं, जो थायरॉयड को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
- थायराइड के सभी हिस्से या सर्जिकल हटाने – जब चिकिस्तक थायराइड के हिस्से को हटा देते हैं, तो कुछ हिस्सा थायराइड हार्मोन की सामान्य मात्रा का उत्पादन कर सकता है, लेकिन कुछ लोग जिनके पास यह सर्जरी है, उनमें हाइपोथायरायडिज्म विकसित होता है। संपूर्ण थायरॉयड को हटाने से हाइपोथायरायडिज्म होता है।
- कुछ दवाएं – कुछ दवाएं जो थायराइड हार्मोन के उत्पादन में बाधा डाल सकती हैं और हाइपोथायरायडिज्म को जन्म दे सकती हैं, जिसमें शामिल हैं। एमियोडेरोन, दिल की दवा, इंटरफेरॉन अल्फा, कैंसर की दवा, लिथियम, द्विध्रुवी विकार दवा, इंटरल्यूकिन -2, किडनी कैंसर की दवा आदि। (और पढ़े – थाइरोइड का उपचार क्या है)
हाइपोथॉयराडिज्म के लक्षण ? (Symptoms of Hypothyroidism in Hindi)
हाइपोथॉयराडिज्म के लक्षण थायरॉयड हार्मोन उत्पादन में की कमी और होने वाले जोखिम के आधार पर होता है। इसके अलावा लंबे समय से हमारे शरीर में बीमारियों से जुडी परेशानिया होती है जो अंदर कुछ न कुछ जोखिम पैदा करते है।
- जैसे – बाल झड़ना।
- वजन बढ़ना।
- चेहरे पर सूजन आना।
- तनाव होना।
- थकान महसूस करना।
- स्मरण शक्ति का कमजोर होना।
- अनियमित मासिकधर्म होना।
- ठंड लगना।
- त्वचा रूखी होना।
- हृदय की गति धीमी होना।
- मांसपेशियो में अकड़न होना।
- आवाज बैठ जाना।
- जोड़ो में दर्द व सूजन। (और पढ़े – गठिया के घरेलू उपचार क्या है)
- खून में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ना।
हाइपोथॉयराडिज्म का निदान ? (Diagnoses of Hypothyroidism in Hindi)
हाइपोथॉयराडिज्म महिलाओं में सामान्य समस्या माना जाता है। जिसके विकास की जांच करने के लिए चिकिस्तक परीक्षण करते है। हालांकि चिकिस्तक पहले शारीरिक परीक्षण करते है और स्वास्थ्य से जुडी समस्या के बारे में कुछ सवाल करते है। यदि महिला गर्भवती है तो हाइपोथॉयराडिज्म की जांच करने की सलाह देते है। हाइपोथॉयराडिज्म के लक्षण की जांच करने के लिए निम्न जांच शामिल है।
- रक्त जांच करना।
- टीएसएच जांच करना।
- टी 3 और टी 4 के लिए थाइरोइड ऑटो बॉडी परीक्षण किया जाता है।
- रक्त जांच के बाद चिकिस्तक जरूरत होने पर कुछ इमेजिंग टेस्ट गर्दन का अल्ट्रासाउंड भी कर सकते है। (और पढ़े – महिलाओं में कमजोरी की समस्या)
हाइपोथॉयराडिज्म का उपचार ? (Treatments of Hypothyroidism in Hindi)
हाइपोथायरायडिज्म से व्यक्ति प्रभावित है तो चिकिस्तक इसकी जांच करवाने की सलाह देते है। जांच में हार्मोन की कमी या बढ़त को देख सकते है। हालांकि चिकिस्तक हाइपोथायरायडिज्म का इलाज नहीं कर सकते हैं लेकिन वे ज्यादातर मामलों में इसे नियंत्रित करने में लोगों की मदद कर सकते हैं। कुछ लोगो में हर साल टीयसएच के स्तर की जांच की जाती है।
- लेवोथायरोक्सीन की सही मात्रा का आकलन करने के लिए मरीज के टीएसएच स्तर दो या तीन महीने में जांच करेंगे। यदि दवाई अत्यधिक मात्रा हो जाती है, तो कुछ दुष्परिणाम नजर आ सकते है।
- जैसे दिल में घबराहट महसूस करना।
- अनिद्रा की समस्या।
- भूख बढ़ना।
- कापना।
- अगर चिकिस्तक आपको दवा बदल कर देते है तो आपको दवा बिच में नहीं छोड़ना चाहिए बल्कि नियमित दवा लेना चाहिए।
- कुछ मामले में दवा या सप्लीमेंट्स जैसे आयरन सप्लीमेंट, कैल्शियम सप्लीमेंट्स, या खाद्य पदार्थ लेने की सलाह देते है। इसके अलावा सोया के पदार्थ या उच्च फाइबर वाले आहार के बारे में चिकिस्तक से सलाह ले सकते है।
- अगर टीएसएच का स्तर में बढ़ौतरी होती है, तो थाइरोइड हार्मोन थेरेपी प्रभावी नहीं हो पाती है। यह व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है। इसके अलावा दूसरे टीयसएच के उच्च स्तर कोलेस्ट्रॉल के स्तर में बढ़ौतरी कर सकते है। यह हृदय की पंपिंग में सुधार व शरीर में ऊर्जा बनता है। (और पढ़े – थाइरोइड का ऑपेरशन क्यों होता है)
हमें आशा है की आपके प्रश्न हाइपोथॉयराडिज्म क्या होता हैं ? का उत्तर इस लेख के माध्यम से दे पाएं।
अगर आपको हाइपोथॉयराडिज्म के बारे में अधिक जानकारी एव उपचार करवाना हो, तो (Endocrinologists) से संपर्क कर सकते हैं।
हमारा उद्देश्य केवल आपको लेख के माध्यम से जानकारी देना है। हम आपको किसी तरह दवा, उपचार की सलाह नहीं देते है। आपको अच्छी सलाह केवल एक चिकिस्तक ही दे सकता है। क्योंकि उनसे अच्छा दूसरा कोई नहीं होता है।
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