रोटावायरस क्या हैं। What is Rotavirus in Hindi
अप्रैल 27, 2021 Lifestyle Diseases 1824 Viewsरोटावायरस का मतलब हिंदी में, (Rotavirus Meaning in Hindi)
रोटावायरस क्या हैं ?
रोटावायरस संक्रमण खासतौर पर शिशु व नवजात बच्चों को प्रभावित करता है। सामान्यतौर पर डायरिया के कारण रोटावायरस होता है। यह संक्रमण बहुत गंभीर होने पर दर्दनाक हो सकते है। कई मामलो में संक्रमण का इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि 3 से 10 दिन के भीतर अपने आप ठीक हो जाता है। शरीर में अत्यधिक पानी की कमी होने से संक्रमण का प्रभाव बढ़ जाता है। ऐसे में मरीज को अस्पताल भर्ती करने की जरूरत पड़ती है जहां पर पानी चढ़ाया जा सके। पूरी दुनिया में अधिकतर शिशु की मृत्यु रोटावायरस के वजह से हो जाती है। हालांकि वैक्सीन आने से इस संक्रमण से रोकथाम की जा सकती है। बच्चों हो या वयस्क हाथों को नियमित रूप से धोना चाहिए और वायरस से बचाव करना चाहिए। चलिए आज के लेख में आपको रोटावायरस के बारे में विस्तार से बताते हैं।
- रोटावायरस के कारण क्या हैं ? (What are the Causes of Rotavirus in Hindi)
- रोटावायरस के लक्षण क्या हैं ? (What are the Symptoms of Rotavirus in Hindi)
- रोटावायरस के निदान ? (Diagnoses of Rotavirus in Hindi)
- रोटावायरस का इलाज क्या हैं ? (What are the Treatments for Rotavirus in Hindi)
- रोटावायरस से बचाव कैसे करें ? (Prevention of Rotavirus in Hindi)
रोटावायरस के कारण क्या हैं ? (What are the Causes of Rotavirus in Hindi)
रोटावायरस के कारण लक्षणों के प्रकट होने से 10 दिन पहले और लक्षणों के कम होने तक 10 दिनों तक रोटावायरस एक संक्रमित व्यक्ति के मल में मौजूद होता है। वायरस इस पूरे समय में आसानी से हाथ से मुंह के संपर्क में फैलता है – भले ही संक्रमित व्यक्ति में लक्षण न हों।
यदि व्यक्ति रोटावायरस से पीड़ित है और व्यक्ति शौचालय का उपयोग करने के बाद अपने हाथों को नहीं धोते हैं। इसके अलावा बच्चे को रोटावायरस है और आप अपने बच्चे के डायपर बदलने या अपने बच्चे को शौचालय का उपयोग करने में मदद करने के बाद अपने हाथ नहीं धोते हैं, तो वायरस आपके किसी भी चीज़ में फैल सकता है भोजन, खिलौने और बर्तन सहित स्पर्श करें। यदि कोई अन्य व्यक्ति आपके अनचाहे हाथों या दूषित वस्तु को छूता है और फिर उसके मुंह को छूता है, तो संक्रमण हो सकता है। यदि क्षेत्र कीटाणुरहित नहीं है तो वायरस हफ्तों या उससे अधिक समय तक सतहों पर संक्रामक रह सकता है। क्योंकि रोटावायरस के कई प्रकार हैं, यदि आपको टीका लगाया गया है, तो एक से अधिक बार संक्रमित होना संभव है। हालांकि, दोहराए जाने वाले संक्रमण आमतौर पर कम गंभीर होते हैं। (और पढ़े – डिहाइड्रेशन के कारण क्या हैं)
रोटावायरस के लक्षण क्या हैं ? (What are the Symptoms of Rotavirus in Hindi)
रोटावायरस के शुरुवाती लक्षण में बुखार व उल्टी की समस्या हो सकती है। यह संक्रमण 3 से 8 दिन तक रह सकता है और इस दौरान पतला दस्त होने लगता है। पेट में दर्द हो सकता है और कुछ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते है। कुछ लोग में संक्रमण से प्रभावित होने पर लक्षण नहीं नजर आता है।
कुछ विशेषज्ञ के मुताबिक बच्चों में इस तरह के लक्षण नजर आने पर चिकिस्तक से संपर्क करना चाहिए।
- यदि बच्चों को 103 डिग्री से अधिक बुखार हुआ हो।
- अधिक दस्त होना।
- मल में रक्त आना।
- रह रह कर उल्टी आना।
- सुस्तपन आना।
- चिड़चिड़ापन आना।
- दर्द होना।
- पानी की कमी होना।
- मुंह सुखना।
- आंसू न आना।
- नींद न आना।
बड़ो में लक्षण दिखने में चिकिस्तक को दिखाए।
- मल में खून आना।
- खून की उल्टी।
- तेज बुखार होना।
- बार -बार उल्टी आना।
- शरीर में पानी की कमी होना।
- पेशाब कम आना।
- चक्कर आना। (और पढ़े – वर्टिगो आना क्या हैं)
रोटावायरस के निदान ? (Diagnoses of Rotavirus in Hindi)
रोटावायरस का निदान करने के लिए चिकिस्तक सबसे पहले मरीज का शारीरिक परीक्षण करते है जिसमे पारिवारिक इतिहास व लक्षण के बारे में पूछते है। इसके अलावा वायरस का पता लगाने के लिए मल के नूमने की जांच करते है। (और पढ़े – पेशाब में जलन की समस्या)
रोटावायरस का इलाज क्या हैं ? (What are the Treatments for Rotavirus in Hindi)
रोटावायरस का कोई विशेष उपचार उपलब्ध नहीं है। हालांकि संक्रमण की रोकथाम करने के लिए चिकिस्तक कुछ एंटीबायोटिक दवा की खुराक देते है। सामान्यतौर पर यह संक्रमण 3 से 8 दिन के भीतर अपने आप ठीक हो जाते है। बच्चें के शरीर में पानी की कमी न हो इस बात का विशेष ध्यान रखें। चिकिस्तक के अनुसार यदि बच्चे को रोटावायरस हो गया है तो इस दौरान बच्चे को पानी अधिक पिलाना चाहिए। इसके अलावा तरल पदार्थ दे सकते है ताकि पानी की कमी न हो। बच्चों में पानी की कमी दूर करने के लिए कुछ पदार्थ पानी में मिलाकर दे सकते है जो पानी की कमी नहीं होने देते है। कुछ मामलो अत्यधिक पानी की कमी होने पर अस्पताल में पानी चढ़वाने की जरूरत होती है।
रोटावायरस से बचाव कैसे करें ? (Prevention of Rotavirus in Hindi)
- रोटावायरस से बचाव करने के लिए हाथो को नियमित रूप से धोना चाहिए। खासतौर जब बच्चें शौच जाते है उसके बाद हाथ को धोना चाहिए या डाइपर बदलने के बाद हाथ की सफाई करनी चाहिए। हालांकि संक्रमण के जोखिम को साफ़ सफाई के माध्यम से कम कर सकते है।
- रोटा टेक – इस तरह का वैक्सीन बच्चों को तीन खुराक में दिया जाता है। दो, चार या छह महीने की उम्र में दिया जाता है। यह वैक्सीन बड़े बच्चों और वयस्कों को नहीं दिया जाता है। यदि आंत के पास किसी तरह की समस्या हो रही है तो चिकिस्तक से संपर्क करें। कुछ मामलो में जोखिम अधिक हो सकता है यदि टिका के बाद पेट दर्द, डायरिया, मल में खून आदि समस्या होने पर चिकिस्तक से संपर्क करना चाहिए। (और पढ़े – मल में खून की समस्या)
- रोटरिक्स – यह एक ऐसा वैक्सीन है जो शिशुओं को दो से चार महीने की उम्र में दिया जाता है।
हमें आशा है की आपके प्रश्न रोटावायरस क्या हैं ? का उत्तर इस लेख के माध्यम से दे पाएं।
अगर आपको रोटावायरस के बारे में अधिक जानकारी व उपचार के लिए (Infection Diseases) से संपर्क कर सकते हैं।
हमारा उद्देश्य केवल आपको लेख के माध्यम से जानकारी देना है। हम आपको किसी तरह दवा, उपचार की सलाह नहीं देते है। आपको अच्छी सलाह केवल एक चिकिस्तक ही दे सकता है। क्योंकि उनसे अच्छा दूसरा कोई नहीं होता है।
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