सिलिकोसिस क्या है । Silicosis Meaning in Hindi
दिसम्बर 31, 2020 Lifestyle Diseases 1891 Viewsसिलिकोसिस क्या है ?
सिलिकोसिस, क्रिस्टलीय सिलिका धूल के बारीक कणों के कारण साँस लेने से होने वाले परेशानी फेफड़ों से संबंधित बीमारी होती है। सिलिका धूल के कण रिएक्शन प्रतिक्रिया को प्रभावित कर सकते है। यह फेफड़ों के नोड्यूल और निशान के गठन की ओर जाने लगता है। इन परिवर्तनों से फेफड़ों के कार्य में हानि हो सकती है। यह बीमारी आम तौर पर पहले प्रदर्शन के बाद प्रकट होने में 5 से 20 साल ला ;लंबा लग सकता है। इनके शुरुवाती लक्षण में पुरानी सूखी खांसी और सांस की तकलीफ रोग आदि शामिल हैं। सिलिकोसिस समय के साथ और गंभीर होने लगता है। हालांकि लगातार धूल के संपर्क में रहने से सिलिकोसिस की समस्या बढ़ने लगती है। इस बीमारी का कोई सटीक इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन लक्षण को कम करने के लिए कुछ निम्न उपचार करते है। यदि किसी व्यक्तो को किसी तरह का लक्षण नजर आता है तो चिकिस्तक से निदान व उपचार करवाएं। चलिए आज के लेख में आपको सिलिकोसिस क्या है के बारे में विस्तार से बताने वाले है।
- सिलिकोसिस के प्रकार ? (Types of Silicosis in Hindi)
- सिलिकोसिस के कारण ? (Causes of Silicosis in Hindi)
- सिलिकोसिस के लक्षण ? (Symptoms of Silicosis in Hindi)
- सिलिकोसिस का निदान ? (Diagnoses of Silicosis in Hindi)
- सिलिकोसिस का इलाज ? (Treatments for Silicosis in Hindi)
सिलिकोसिस के प्रकार ? (Types of Silicosis in Hindi)
सिलिकोसिस मुख्य रूप से तीन प्रकार है।
- एक्यूट सिलिकोसिस – इस प्रकार में मरीज एक या दो साल से सिलिका के संपर्क में रहने से लक्षण का अनुभव धीरे -धीरे होने लगता है। इस प्रक्रिया को एक्यूट सिलिकोसिस कहा जा सकता है।
- एक्सलरेटेड – इस प्रकार में व्यक्ति को लंबे समय से प्रभावित हो सकता है जैसे 5 से 10 साल तक सिलिका के संपर्क में आने से लक्षण नजर आने लगते है। उपचार न करने पर लक्षण तेजी से बढ़ सकता है।
- क्रोनिक सिलिकोसिस – इस प्रकार में मरीज कम मात्रा में सिलिका के संपर्क में आता है और लंबे समय से संपर्क में होने से लक्षण नजर आने लगते है। इस स्तिथि को क्रोनिक सिलिकोसिस कहते है। यह सबसे सामान्य होता है और इसमें लक्षण अधिक गंभीर नहीं होते है।
सिलिकोसिस के कारण ? (Causes of Silicosis in Hindi)
सिलिकोसिस धूल की उच्च सांद्रता में सांस लेने के कारण होता है, हालांकि यह लंबे समय से होने पर होता है। इसके अलावा अधिक तीव्र जोखिम की कम अवधि के कारण भी सिलिकोसिस हो सकता है। फेफड़ो में कैंसर होने कारण सिलिकोसिस हो सकता है। जो लोग कारखानों मिल में काम करते है उनमे सिलिकोसिस अधिक देखने को मिलता है। इंजीनियर (कृत्रिम) पत्थर में आमतौर पर राल के साथ मिश्रित क्रिस्टलीय सिलिका की उच्च सांद्रता होती है। उद्योगों के कुछ उदाहरण जहां श्रमिकों को सिलिका धूल के संपर्क में आ जाते है।
- जैसे – इंजीनियर पत्थर का निर्माण
- कंक्रीट मिश्रण और काटना
- सैंडब्लास्टिंग
- ईंट और पत्थर की कटिंग
- फाउंड्री का काम
- निर्माण
- खनन और उत्खनन (धातु, पत्थर, कुल और कोयला सहित)
- खुर (प्राकृतिक गैस निष्कर्षण के लिए हाइड्रोलिक फ्रैक्चरिंग) (और पढ़े – अस्थमा के कारण क्या है)
- मिट्टी के बर्तन और गिलास बनाना
इन सभी काम करने वालो लोगो में सिलिकोसिस बढ़ने का जोखिम अधिक रहता है।
सिलिकोसिस के लक्षण ? (Symptoms of Silicosis in Hindi)
सिलिकोसिस एक ऐसी गंभीर स्तिथि है जिसका लक्षण नजर आने पर तुरंत उपचार करने की जरूरत होती है, यदि तुरंत उपचार न किया जाए तो गंभीर स्तिथि बन सकती है।
सिलिकोसिस के शुरुवाती लक्षण में शामिल है।
- कफ होना।
- खांसी बहुत आना।
- सांस लेने में परेशानी आना।
लक्षण गंभीर होने पर –
- होंठ का रंग नीला पड़ जाना।
- बुखार हो जाना।
- थकान महसूस करना।
- छाती में अचानक दर्द होना।
- वजन कम होने लगना।
- टांगो में दर्द या सूजन आना। (और पढ़े – गर्भावस्था में पैरो में सूजन आना)
सिलिकोसिस का निदान ? (Diagnoses of Silicosis in Hindi)
सिलिकोसिस का परीक्षण करने के लिए चिकिस्तक पहले शारीरिक परिक्षण करता है और लक्षणो के बारे में पूछते है। इसके अलावा पुरानी बीमारी इतिहास के बारे व खान-पान के बारे में जानकारी लेते है। सिलिकोसिस का निदान करने के लिए कुछ निम्न जांच कर सकते है।
- फेफड़ो के भीतरी हिस्से को देखने के लिए ब्रोकोस्कोपी किया जाता है।
- छाती के प्रभावित हिस्से की जांच करने के लिए सिटी स्कैन किया जाता है।
- सिलिकोसिस का पता लगाने के लिए चिकिस्तक लंग का एक्स रे निकाल सकता है।
- फेफड़ो के कार्य प्रणाली को जानने के लिए ब्रीथिंग टेस्ट कर सकते है।
- फेफड़ो के ऊतक का नूमना लेकर बायोप्सी की जा सकती है, ताकि बीमारी का सटीक पता चल सके। (और पढ़े – बायोप्सी क्या है और कैसे होता है)
सिलिकोसिस का इलाज ? (Treatments for Silicosis in Hindi)
सिलिकोसिस का कोई सटीक इलाज अभी तक उपलब्ध नहीं हुआ है। लेकिन इसके लक्षणो को कम करने के लिए कुछ निम्न उपचार कर सकते है। चलिए आगे विस्तार से बताते है।
- यदि मरीज के फेफड़ो में अधिक बलगम जम गया है तो चिकिस्तक पहले उसे कम करने के लिए कुछ दवाओं की खुराक देते है। इन दवा से सांस लेने की प्रक्रिया में सुधार होता है और कठिनाई दूर होने लगती है।
- कुछ मामलो मरीज की ऑक्सीजन थेरेपी की जाती है, इसमें मरीज में होने वाली ऑक्सीजन की कमी को दूर करने मदद करता है। इस थेरेपी से मरीज के थकान और कमजोरी को कम करता है।
- बहुत से गंभीर मामलो में दवा देने के बजाय सर्जरी का विकल्प लिया जाता है। फेफड़े की गंभीर स्तिथि में फेफड़ो को स्वस्थ फेफड़ो में ट्रांसप्लांट किया जाता है।
- हालांकि यदि आप इन बीमारी से बचना चाहते है, तो शराब व धूम्रपान की लत को छोड़ देना चाहिए। इसके अलावा इस बीमारी से टीबी होने की संभावना होने लगती है। यदि आपको किसी तरह की समस्या फेफड़ो में होती है, तो तुरंत निदान व उपचार करवाएं। (और पढ़े – लंग कैंसर क्यों होता है)
हमें आशा है की आपके प्रश्न का सिलिकोसिस क्या है ? उत्तर इस लेख के माध्यम से दे पाएं।
अगर आपको सिलिकोसिस के बारे में अधिक जानकारी व इलाज करवाना हो, तो Pulmonologist से संपर्क कर सकते है।
हमारा उद्देश्य केवल आपको लेख के माध्यम से जानकारी देना है। हम आपको किसी तरह दवा, उपचार की सलाह नहीं देते है। आपको अच्छी सलाह केवल एक चिकिस्तक ही दे सकता है। क्योंकि उनसे अच्छा दूसरा कोई नहीं होता है।