विरिमिया क्या हैं । Viremia in Hindi
मार्च 15, 2021 Lifestyle Diseases 1099 Viewsविरिमिया का मतलब हिंदी में, (Viremia Meaning in Hindi)
विरिमिया क्या हैं ?
विरामिया एक मेडिकल स्तिथि है जिसमे वायरस रक्त में प्रवेश करता है। वायरस जेनेटिक मटेरियल होता है जो सभी ओर से प्रोटीन से घिरा हुआ रहता है। इनका आकर बहुत ही छोटा होता है और यह ऐसे वायरस है जो जीवित रहने के लिए शरीर ढूढ़ते रहते है। यह वायरस शरीर में प्रवेश कर कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त करते रहते है और उनकी संख्या भी बढ़ाते रहते है। ऐसे प्रक्रिया को संक्रमण कहा जाता है। हालांकि दुनिया में कई अनगिनत वायरस है जिनमे कुछ वायरस मामूली व कुछ वायरस अधिक संक्रामक होते है जो शरीर को प्रभावित करते है। कुछ वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत जल्दी फैलते है। इसके अलावा कुछ वायरस त्वचा को सीधे प्रभावित करता है और कुछ वायरस केवल रक्त को प्रभावित करते है। चलिए आज के लेख में आपको विरामिया के प्रकार, कारण, लक्षण, परीक्षण व इलाज के बारे में बताया गया हैं।
- विरिमिया के प्रकार ? (Types of Viremia in Hindi)
- विरिमिया के कारण क्या हैं ? (What are the Causes of Viremia in Hindi)
- विरिमिया के लक्षण क्या हैं ? (What are the Symptoms of Viremia in Hindi)
- विरिमिया के परीक्षण ? (Diagnoses of Viremia in Hindi)
- विरिमिया का इलाज क्या हैं ? (What are the Treatments for Viremia in Hindi)
विरिमिया के प्रकार ? (Types of Viremia in Hindi)
विरिमिया को मुख्य तौर पर चार वर्गों में विभाजित किया गया हैं।
- प्राइमरी विरिमिया – यह विरिमिया सबसे आम प्रकार होता है, इसमें वायरस रक्त उस जगह पर फैलता है जहा से शरीर में वायरस प्रवेश किया था।
- सेकेंडरी विरिमिया – वायरस शरीर में जब फ़ैल जाता है जो रक्त के संपर्क में वायरस आ जाते है। ऐसे में वायरस उस भाग में बढ़ने लगते है और रक्त में फैलने लगते हैं।
- एक्टिव विरिमिया – वायरस रक्त में आकर अपनी संख्या बढ़ाने लगते है और रक्त में वायरस बढ़ने लगता है। इस स्तिथि को एक्टिव विरिमिया कहा जाता हैं।
- पैसिव विरिमिया – इस प्रकार में वायरस पहले शरीर के किसी हिस्से में न होकर सीधे रक्त में फैलने लगता है। हालांकि मच्छरो के काटने से वायरस रक्त में प्रवेश करता हैं। (और पढ़े – मलेरिया के कारण क्या हैं)
विरिमिया के कारण क्या हैं ? (What are the Causes of Viremia in Hindi)
सामान्यतौर पर वायरस के कारण विरिमिया की स्तिथि हो सकती है। कई ऐसे वायरस है जिनका इलाज अभी तक उपलब्ध नहीं है और शोध चल रहा है। कुछ ऐसे वायरस भी है जो विरिमिया का कारण बन सकते है।
- जैसे – रूबेला।
- एचआईवी।
- डेंगू वायरस।
- हेपेटाइटिस बी वायरस।
- खसरा।
- पोलियो वायरस।
- वेस्ट नाइल वायरस।
- सिस्टोमेंगालोवायरस।
- चिकनपॉक्स।
कुछ वायरस शरीर के ऊपरी व अंदरूनी अंगो को प्रभावित करते है। इसके अलावा कुछ वायरस सूखे व नमी वाली जगह पर कुछ देर या घंटो तक जीवित रह सकते है और व्यक्ति में संक्रमण को फैला सकते है। आपको बता दे, शरीर में वायरस फैलने का तरीका इनमे शामिल हैं।
- जैसे – मच्छरो के काटने से।
- स्तनपान कराने के दौरान माँ से शिशु को वायरस हो सकता है।
- किसी तरह के घाव या कटने से।
- संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने से।
- सक्रमित रक्त स्वस्थ व्यक्ति को चढ़ाने से।
- गर्भावस्था के दौरान माँ से भ्रूण शिशु को।
- संक्रमित मिट्टी मुंह के अंदर जाना।
- अंगदान करने से यदि संक्रमित अंग हो।
- दूषित हाथो से भोजन कर लेना। (और पढ़े – किडनी स्टोन क्या हैं)
विरिमिया के लक्षण क्या हैं ? (What are the Symptoms of Viremia in Hindi)
विरिमिया के लक्षण इसके कारण के आधार पर विकसित हो सकते है। कुछ मामलो में विरिमिया के गंभीरता के अनुसार लक्षण नजर आ सकते है। हालांकि विरिमिया और वॉयरल संक्रमण के लक्षण कुछ सामान्य होते है। इन लक्षणो में शामिल हैं।
- बुखार होना।
- सामान्य थकावट महसूस होना।
- मांसपेशियों और जोड़ों की कमजोरी, दर्द होना।
- सिरदर्द होना।
- चक्कर आना।
- हल्की-सी कमजोरी महसूस करना।
- दस्त होना।
- मतली या उल्टी आना।
- ठंड लगना।
- बहती या घनी हुई नाक।
- गले में खराश होना।
- खांसी आना।
- अपर्याप्त भूख लगना। (और पढ़े – अत्यधिक खाने का विकार क्या हैं)
विरिमिया के परीक्षण ? (Diagnoses of Viremia in Hindi)
विरिमिया का परीक्षण करने के लिए चिकिस्तक मरीज का शारीरिक परीक्षण करता है जिसमे पिछली बीमारी इतिहास व कारण के बारे में सवाल कर सकते है। व्यक्ति के शरीर में संक्रमण या विरिमिया का सटीक पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट कर सकते है।
कुछ मामलो में चिकिस्तक मरीज के लक्षण की तुलना वायरल संक्रमण के लक्षण से करता है। ऐसा तब किया जाता है जब कोई बड़ी महामारी चल रही है। (और पढ़े – कोरोना वायरस क्या हैं)
विरिमिया का इलाज क्या हैं ? (What are the Treatments for Viremia in Hindi)
विरिमिया का इलाज मरीज के कारण व संक्रमण की गंभीरता के आधार पर किया जा सकता है। कुछ लोगो विरिमिया के इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि कुछ दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है। ऐसा, इसलिए रोगप्रतिरोधक क्षमता मजबूत होने से रक्त साफ हो जाता है। कुछ मरीजों में रोगप्रतिरोधक क्षमता में सुधार होने का इंतजार करते है। इस दौरान लक्षण को नियंत्रित करने के लिए कुछ दवाएं दे सकते हैं। चिकिस्तक विरमिया के इलाज निम्न तरीको से कर सकते है।
- खुजली को रोकने के लिए क्रीम देना।
- मरीज को तरल पेय पदार्थ देना।
- दस्त को रोकने के लिए दवा देना।
- एसीटामिनोफेंन दवा।
- बंद नाक के लिए दवा देना।
- एंटी -इंफ्लेमेटरी दवा देना।
- गले में दर्द होना।
विरामिया के उपचार में मुख्य तौर पर एंटीवायरल दवाओं का उपयोग किया जाता है। यह दवा वायरस को नष्ट करने में मदद करती है। कुछ ऐसी दवाएं है जो रक्त से वायरस को नष्ट करती है। कुछ दवाओं में शामिल है।
- इंटरफेरॉन।
- रिबैविरिन।
- इम्यून ग्लोबुलीन। (और पढ़े – अनवांटेड 72 क्या हैं)
हमें आशा है की आपके प्रश्न विरिमिया क्या हैं ? का उत्तर इस लेख के माध्यम से दे पाएं।
अगर आपको विरिमिया के बारे में अधिक जानकारी व इलाज करवाने के लिए (Infection Diseases Doctor) से संपर्क कर सकते हैं।
हमारा उद्देश्य केवल आपको लेख के माध्यम से जानकारी देना है। हम आपको किसी तरह दवा, उपचार की सलाह नहीं देते है। आपको अच्छी सलाह केवल एक चिकिस्तक ही दे सकता है। क्योंकि उनसे अच्छा दूसरा कोई नहीं होता है।
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