नवजात शिशु में पीलिया की समस्या । Newborn Jaundice Causes in Hindi.
अक्टूबर 18, 2020 Liver Section 3310 ViewsNewborn Jaundice Meaning in Hindi.
नवजात शिशु में पीलिया की समस्या अक्सर देखी जाती है और इस पीलिया की स्तिथि को चिकिस्तक भाषा में नवजात पीलिया कहा जाता है। पीलिया की समस्या छोटे बच्चों में होती रहती है, जिसमे कुछ बच्चे को नहीं होता है। कई नवजात बच्चो में पीलिया होने पर गंभीर समस्या होती है। हालांकि इन गंभीर प्रभाव होने से शिशु बहरा या मस्तिष्क की क्षति, शिशु की मृत्यु हो जाती है। बहुत से माता पिता को नवजात शिशु में पीलिया के बारे में पता नहीं होता है जिसके वजह से शिशु की स्तिथि गंभीर हो जाती है, इसलिए आज के इस लेख में नवजात शिशु में पीलिया की समस्या के बारे में विस्तार से बताएंगे।
- नवजात शिशु में पीलिया क्या हैं ? (What is Newborn Jaundice in Hindi)
- नवजात शिशु में पीलिया होने का कारण क्या हैं ? (Newborn Baby Jaundice Causes in Hindi)
- नवजात शिशु में पीलिया होने के लक्षण क्या हैं ? (Newborn Baby Jaundice Symptoms in Hindi)
- नवजात शिशु में पीलिया की जांच ? (Newborn Baby Jaundice Diagnoses in Hindi)
- नवजात शिशु में पीलिया का उपचार क्या हैं ? (Newborn Baby Jaundice Treatment in Hindi)
नवजात शिशु में पीलिया क्या हैं ? (What is Newborn Jaundice in Hindi)
नवजात शिशु में पीलिया की स्तिथि होने पर उनकी आंखे व त्वचा पिली पड़ने लगती है। ऐसी स्तिथि बच्चे के जन्म के पहले हफ्ते में देखा जाता है। नवजात शिशु में पीलिया की स्तिथि सामान्य होती है और यह स्तिथि तब उत्पन्न होती है तब बच्चे के रक्त स्तर में बिलीरुबिन पाया जाता है। पीलिया रोग बच्चो को तब होता है जब उनके लाल रक्त कोशिकाएं टूटकर पीला रंग उत्पन्न करती है। बच्चे का यकृत ठीक से तैयार नहीं रहता है। पीलिया लड़को की तुलना में लड़कियों को कम होता है। इसके अलावा स्वस्थ बच्चो को पीलिया प्रभावित नहीं करता है। कुछ मामलो में नवजात शिशु के यकृत बड़ा होने पर पीलिया की समस्या ठीक हो जाती है। (और पढ़े – किडनी स्टोन की समस्या)
नवजात शिशु में पीलिया होने का कारण क्या हैं ? (Newborn Baby Jaundice Causes in Hindi)
- नवजात शिशु में पीलिया आमतौर पर इसलिए होता है क्योंकि बिलीरुबिन के बढ़े हुए स्तर का उत्पादन होता है जिसे “फिजियोलॉजिकल पीलिया” कहा जाता है। बिलीरुबिन, जो कि पीले रंग का होता है, यह तब उत्पन्न होता है जब लाल रक्त कोशिकाएं टूट जाती हैं। बिलीरुबिन जिगर द्वारा रक्तप्रवाह से हटा दिया जाता है। नवजात शिशुओं में, शरीर जिगर की प्रक्रिया की तुलना में अधिक बिलीरुबिन का उत्पादन कर सकता है।
- फिजियोलॉजिकल पीलिया आमतौर पर जन्म के कुछ दिनों बाद दिखाई देता है और दो सप्ताह के भीतर हल हो जाता है। अन्य प्रकार के नवजात पीलिया, समय से पहले जन्म लेने, स्तनपान से संबंधित समस्याओं, संक्रमण, माँ और बच्चे के बीच रक्त के प्रकार के साथ-साथ अन्य रक्त या जिगर की समस्याओं के कारण हो सकते हैं।
- चूंकि कई माताओं और शिशुओं को प्रसव के तुरंत बाद अस्पताल छोड़ दिया जाता है, पीलिया तब तक प्रकट नहीं हो सकता जब तक कि बच्चे घर पर न हों। पीलिया की जाँच के लिए नर्सरी से घर जाने के पहले कुछ दिनों के भीतर एक नवजात की जाँच आमतौर पर आपके बाल रोग विशेषज्ञ के पास निर्धारित की जाती है।
- यदि आपको अपने बच्चे में पीलिया के लक्षण दिखाई देते हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करना महत्वपूर्ण है। यदि आपको पीलिया पर संदेह है, तो आपको उसी दिन अपने डॉक्टर को देखने की आवश्यकता होगी। जबकि पीलिया आमतौर पर बहुत ही उपचार योग्य है, सबसे चरम मामलों में यह मस्तिष्क क्षति का कारण बन सकता है।
नवजात शिशु में पीलिया होने के लक्षण क्या हैं ? (Newborn Baby Jaundice Symptoms in Hindi)
नवजात शिशु में पीलिया के लक्षण सामान्य तौर पर दो हफ्तों के भीतर नजर आने लगते है। बच्चा यदि दो या तीन सप्ताह का हो जाता है तो लक्षण व उपचार के बिना अपने आप ठीक हो जाता है। बच्चों में लक्षण में आम तौर पर त्वचा और आंखे पिली होती है। शुरुवात में सिर से शुरू होकर, छाती, पेट, पैरो, बाहों में फैलने लगता है।
नवजात बच्चों में अनेक लक्षण दिखाई देते है।
- पिले मल आना।
- बुखार आना।
- शिशु का मूत्र रंगहीन होना।
- आँख, चेहरा, हथेली पीला होना।
- वजन न बढ़ना।
- दूध पिने में कमजोर होना।(और पढ़े – नवजात शिशु की देखभाल)
नवजात शिशु में पीलिया की जांच ? (Newborn Baby Jaundice Diagnoses in Hindi)
नवजात शिशु में पीलिया का पता लगाने के लिए कारण का पता करते है। चिकिस्तक बच्चों के लक्षण के आधार पर परीक्षण करते है ताकि पीलिया का निदान कर सके। पीलिया के निदान के लिए रक्त में बिलीरुबिन का स्तर मापा जाता है। बिलीरुबिन का स्तर बढ़ने पर पीलिया गंभीर हो सकता है। पीलिया की जांच करने के लिए निम्नलिखित परीक्षण करते है।
- सबसे पहले चिकिस्तक बच्चे के त्वचा, शरीर, आंखे, हथेली के पीलेपन का परीक्षण करता है।
- बच्चे के रक्त का नमूना लेकर जांच करता है ताकि बिलीरुबिन को मापा जा सके।
- नवजात बच्चो में किसी यंत्र की सहायता से पीलिया की जांच की जाती है।
- बच्चो के पूर्ण पीलिया के परीक्षण के लिए पूर्ण रक्त परीक्षण का सुझाव दे सकता है।
नवजात शिशु में पीलिया का उपचार क्या हैं ? (Newborn Baby Jaundice Treatment in Hindi)
सामान्य तौर पर नवजात बच्चे पीलिया होने पर दो सप्ताह में बिना किसी उपचार के ठीक हो जाते है। गंभीर पीलिया होने पर चिकिस्तक सर्जरी कर सकते है। नवजात शिशु के रक्त में बिलीरुबिन के स्तर को कम करने के लिए निम्न उपचार किया जा सकता है। जिनमे फोटो थरेपी, इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन, एक्सचेंज ब्लड ट्रांसफ्यूजन आदि शामिल है।
अगर आपके नवजात शिशु में पीलिया के लक्षण नजर आ रहे है, तो तुरंत बाल चिकिस्तक (Pediatric Gastroenterology) से संपर्क करें।
हमारा उद्देश्य आपको रोगो के प्रति जानकारी देना है हम आपको किसी तरह के दवा, उपचार, सर्जरी की सलाह नहीं देते है। आपको अच्छी सलाह केवल एक चिकिस्तक दे सकता है क्योंकि उनसे अच्छा दूसरा नहीं होता है।
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