सिस्टोसिल क्या है । Cystocele Meaning in Hindi
जनवरी 14, 2021 Womens Health 2101 Viewsसिस्टोसिल का मतलब हिंदी में, (Cystocele in Hindi)
सिस्टोसिल क्या है ?
सिस्टोसिल को एंटेरीयर वैजाइनल प्रोलैप्स के नाम भी जाना जाता है। सिस्टोसिल एक तरह का महिला रोग है, इस रोग में मूत्राशय और योनि की दीवार के चारों ओर सहायक ऊतक कमजोर और खिंचाव करते हैं, जिससे मूत्राशय और योनि की दीवार योनि नलिका में गिर जाती है। आमतौर पर, योनि की दीवार को सहारा देने वाली मांसपेशियां और संयोजी ऊतक मूत्राशय को पकड़ते हैं। इसके अलावा पेल्विक दबाव बढ़ जाता है व मूत्राशय की मांसपेशिया कमजोर हो जाती है। पेल्विक अंग मुख्य होता है जिसमे आंते, मूत्राशय, गर्भाशय व संयोजी ऊतक अपने स्थान पर रहकर सहारा देते है। यदि को संयोजी ऊतक किसी कारण कमजोर होने लगे तो अपना कार्य ठीक से कर पाता है। इसका परिणाम ऊपरी अंग मूत्राशय पर दबाव डालने लगते है। ऐसे में योनि से बाहर मूत्राशय का कुछ भाग निकलने लगता है। चलिए आज के लेख में आपको सिस्टोसिल के बारे में विस्तार से बताएंगे।
- सिस्टोसिल के कारण क्या है ? (What are the Causes of Cystocele in Hindi)
- सिस्टोसिल के लक्षण क्या है ? (What are the Symptoms of Cystocele in Hindi)
- सिस्टोसिल के परीक्षण ? (Diagnoses of Cystocele in Hindi)
- सिस्टोसिल का इलाज क्या है ? (What are the Treatments for Cystocele in Hindi)
- सिस्टोसिल से बचाव कैसे करें ? (Prevention of Cystocele in Hindi)
सिस्टोसिल के कारण क्या है ? (What are the Causes of Cystocele in Hindi)
मांसपेशिया व संयोजी ऊतक जो मूत्राशय और योनि की दीवारों का समर्थन करते हैं यदि यह कमजोर या क्षतिग्रस्त हो जाये तो सिस्टोसेले का कारण बनते हैं। कई कारक इन मांसपेशियों और ऊतकों को खींचने या कमजोर करने में योगदान कर सकते हैं। सिस्टोसिल के निम्न कारण शामिल है।
- लंबे समय से खांसी की समस्या।
- बार -बार अधिक वजन उठाना।
- गर्भावस्था और योनि प्रसव होना।
- पुराने समय से ब्रोंकाइटिस।
- मल त्यागने के दौरान अधिक दाब लगाना।
कुछ अन्य कारक जो सिस्टोसिल की समस्या बढ़ा सकता है।
- अनुवांशिक कारण होना।
- उम्र का अधिक होना।
- किसी कारण बच्चेदानी बाहर निकलवाना। (और पढ़े – सी सेक्शन क्यों किया जाता है)
सिस्टोसिल के लक्षण क्या है ? (What are the Symptoms of Cystocele in Hindi)
सिस्टोसिल के लक्षण सिस्टोसिल के गंभीरता पर आधारित होता है। सिस्टोसिल अत्यधिक गंभीर नहीं है तो लक्षण भी नहीं नजर आता है। यदि सिस्टोसिल गंभीर है तो कुछ निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं।
- संभोग के दौरान या बाद में दर्द होना।
- योनि से अंदरूनी हिस्सा बहार की निकला महसूस होना या नजर आना।
- मूत्राशय खाली न कर पाना।
- टेम्पोन लगाने में परेशानी होना।
- बार-बार पेशाब लगने का एहसास होना।
- महिला को अधिक समय से खड़े रहने पर लक्षण जटिल होना।
- पेल्विक में दर्द होना।
- मूत्र पथ संक्रमण होना।
यदि महिलाओं को मूत्राशय खाली करने में परेशानी हो रही है या अधिक दर्द महसूस होता है, तो समस्या न बढ़े इससे पहले चिकिस्तक से निदान व उपचार करवा लेना चाहिए। (और पढ़े – पेशाब में जलन की समस्या होना)
सिस्टोसिल के परीक्षण ? (Diagnoses of Cystocele in Hindi)
सिस्टोसिल का परीक्षण करने के चिकिस्तक पहले योनि की जांच करते है ताकि परेशानी का पता लगा सके। इसके अलावा लक्षणो के बारे में पूछते है व स्वास्थ्य संबंधित अन्य समस्या की जानकारी लेते है। जांच के अनुसार चिकिस्तक कुछ परीक्षण करने की सलाह दे सकते है।
सामान्य तौर पर सिस्टोसिल का परीक्षण करने के लिए पेशाब की जांच व रक्त की जांच कर सकते है। मूत्राशय की स्तिथि के बारे जानने के लिए एक्स रे निकाल सकते है। कुछ अन्य परीक्षण कर सकते है। जिसमे शामिल है सिस्टोस्कोपी व यूरोडायनेमिक।
- सिस्टोस्कोपी – इस जांच की प्रक्रिया से मूत्राशय के पेशाब जमा व पेशाब निकालने की क्षमता की जांच की जाती है। (और पढ़े – एंडोस्कोपिक क्या है)
- यूरोडायनेमिक – इस प्रक्रिया में उपकरण को मूत्रमार्ग में डाला जाता है, जिससे मूत्राशय की जांच की जाती है। इस जांच की मदद से मूत्र मार्ग में पथरी, ट्यूमर, पथरी, ब्लॉकेज का पता लगाया जाता है।
सिस्टोसिल का इलाज क्या है ? (What are the Treatments for Cystocele in Hindi)
सिस्टोसिल सामान्य होने पर शरीर में किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है, इसलिए उपचार की जरूरत नहीं होती है। ऐसे में चिकिस्तक वजन न उठाने व जीवनशैली में बदलाव किया जाता है। लक्षण को बढ़ने से रोका जा सके। यदि सिस्टोसिल बढ़ने के कारण दर्द या तकलीफ हो रही है तो उपचार की प्रक्रिया कर सकते है। सिस्टोसिल का इलाज निम्न तरीको से किया जाता है।
- वेट लॉस थेरेपी –वेट लॉस थेरेपी की सहायता से बढ़ा हुआ वजन को कम करवाया जाता है। (और पढ़े – वजन कम करने के घरेलु उपचार)
- एस्ट्रोजन रिप्लेसमेंट थेरेपी – एस्ट्रोजन रिप्लेसमेंट थेरेपी में एस्ट्रोजन हार्मोन में बदलाव किये जाते है।
- कीगल एक्सरसाइज – चिकिस्तक गुदा की मांसपेशियो को मजबूत बनाने के लिए कीगल एक्सरसाइज सीखा देते है। इसके अलावा इस एक्सरसाइज से योनि, मूत्रमार्ग को मजबूत बनाया जाता है।
- कुछ मामलो में इस विकार के लिए कुछ दवाएं की खुराक दे सकते है। कुछ लोगो को उनके स्तिथि के आधार पर दवा दी जाती है। यदि मरीज को संक्रमण या दर्द, शरीर में अकड़न है तो उस आधार पर एंटीबायोटिक व अन्य दवा दे सकते हैं।
सिस्टोसिल से बचाव कैसे करें ? (Prevention of Cystocele in Hindi)
सिस्टोसिल की समस्या आम रहने पर किसी तरह की इलाज की जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन समस्या गंभीर रहने पर उपचार की आवश्कयता होती है। सिस्टोसिल का बचाव करने का कोई सटीक उपाय नहीं है, किंतु कुछ बातों का ध्यान देने से समस्या को रोका जा सकता है। जैसे वजन बढ़ा है तो आप उसे कम करने का प्रयास करना चाहिए। भोजन में फाइबर युक्त खाद्य पदार्थो को शामिल करना चाहिए। अत्यधिक वसा व तेल मसाले युक्त भोजन से परहेज करे। रोजाना व्यायाम और योगा करना चाहिए ताकि शरीर की मांसपेशिया मजबूत रहे।
हमें आशा है की आपके प्रश्न सिस्टोसिल क्या है ? का उत्तर इस लेख के माध्यम से दे पाएं।
अगर सिस्टोसिल के बारे में अधिक जानकारी व उपचार करवाना हो तो Gynecologist से संपर्क कर सकते है।
हमारा उद्देश्य केवल आपको लेख के माध्यम से जानकारी देना है। हम आपको किसी तरह दवा, उपचार की सलाह नहीं देते है। आपको अच्छी सलाह केवल एक चिकिस्तक ही दे सकता है। क्योंकि उनसे अच्छा दूसरा कोई नहीं होता है।