गर्भावस्था में डिप्रेशन (अवसाद) के कारण। Depression in Pregnancy in Hindi
जनवरी 30, 2020 Womens Health 9509 ViewsDepression in Pregnancy Meaning in Hindi
महिला के लिए गर्भवती होने की बात किसी खुशी से कम नहीं है क्योंकि माँ बनने का एक अलग ही अनुभव होता है। अगर पहले जमाने की महिला की बात करे तो गर्भावस्था के पल को अच्छी तरह बिताती थी। लेकिन आज की महिला गर्भावस्था होने पर अपने दिमाग में अनेको तरह का डर के बारे में सोचकर अवसाद में चली जाती है। गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में अनेको तरह के बदलाव होते रहते है। इस दौरान महिला बहुत उलझन व स्ट्रेस महसूस करने लगती है, जिसके कारण डिप्रेशन से ग्रस्त होती है। डिप्रेशन एक ऐसी समस्या है जो व्यक्ति को स्वस्थ से अस्वस्थ बना देती है इसका प्रभाव पुरे शरीर पर पड़ता है। यही कारण है की गर्भवती महिला अपने बच्चे के लिए बहुत चिंतित रहती है। इसके अलावा कुछ शोध के अनुसार महिलाएं गर्भावस्था के दौरान एव जन्म देने के बाद कुछ महीनो तक अवसाद का जोखिम बना रहता है। हालांकि महिला के ऐसे समय में परिवार की अच्छी देखभाल डिप्रेशन को कम करने में मदद करती है। इसके अलावा महिला को अपने चिकिस्तक से खुल कर बात करना चाहिए ताकि वो डिप्रेशन को कम करने के लिए कुछ सझाव दे सके। चलिए इस लेख में हम महिलाओं को गर्भावस्था में अवसाद होने की समस्या के बारे में विस्तार से बतायेंगे।
- गर्भावस्था में डिप्रेशन क्या है ? (Pregnancy me Depression kya Hai in Hindi)
- गर्भावस्था में डिप्रेशन के कारण क्या है ? (Pregnancy me Awsaad Ke Karan in Hindi)
- गर्भावस्था में डिप्रेशन के लक्षण क्या है ? (Pregnancy me Awsaad Ke Laksan in Hindi)
- गर्भावस्था में डिप्रेशन का इलाज क्या है ? (Pregnancy me Awsaad Ka Ilaj in Hindi)
- गर्भावस्था में डिप्रेशन कैसे शिशु को प्रभावित करता है ? (Pregnancy me Awsaad Kaise Shishu ko Prbhawit Karta Hai in Hindi)
गर्भावस्था में डिप्रेशन क्या है ? (Pregnancy me Depression kya Hai in Hindi)
अवसाद एक बीमारी है जो लोगों के सोचने, कार्य करने और महसूस करने के तरीके को प्रभावित करती है। लगभग 6% महिलाएं अपने जीवन के किसी न किसी मोड़ पर अवसाद का अनुभव करेंगी। यह संख्या गर्भवती महिलाओं के लिए लगभग 10% तक बढ़ जाती है। गर्भवती होने पर और बच्चे होने के बाद हफ्तों और महीनों के दौरान महिलाओं को अवसाद का खतरा अधिक होता है। गर्भावस्था के दौरान, हार्मोन परिवर्तन मस्तिष्क रसायनों को प्रभावित कर सकते हैं और अवसाद और चिंता का कारण बन सकते हैं। कभी-कभी, गर्भवती महिलाओं को यह एहसास नहीं होता है कि वे उदास हैं। वे सोच सकते हैं कि उनमें गर्भावस्था के लक्षण हैं या “बेबी ब्लूज़”, जो कई महिलाओं को जन्म के ठीक बाद अनुभव होता है।
गर्भावस्था में डिप्रेशन के कारण क्या है ? (Pregnancy me Awsaad Ke Karan in Hindi)
गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में कई तरह के बदलाव होते रहते है। जिसके कारण महिलाएं छोटी सी परेशानी को लेकर अत्यधिक चिंतित हो जाती है। जिसके परिणाम स्वरूप अवसाद से ग्रस्त हो जाती है। इसमें कुछ निम्न कारण शामिल है। गर्भावस्था से जुडी किसी तरह की समस्या रहना।
- रिश्ते में अनबन होना।
- पहले बांझपन से परेशान रहना। (और पढ़े – बांझपन के कारण क्या है)
- परिवार संबंधित कोई परेशानी होना।
- तनाव की समस्या रहना।
- महिला का पहला बच्चा न रहा हो।
- महिला को डिप्रेशन से बचाव करने की बड़ी जिम्मेदारी उसके परिवार और पति की होती है।
गर्भावस्था में डिप्रेशन के लक्षण क्या है ? (Pregnancy me Awsaad Ke Laksan in Hindi)
गर्भावस्था में डिप्रेशन होने से कुछ लक्षण महसूस कर सकती है।
- दर्द होना।
- हर समय चिंता में रहना।
- अत्यधिक रोने लगना।
- आत्महत्या के बारे में सोचना।
- कुछ याद रखने में परेशानी होना।
- पुरे दिन में थकावट होना।
- मनपसंद गतिविधि में रूचि नहीं होना।
- परिवार से दूरी में रहना।
- पेट संबंधित रोग होना।
- सिरदर्द होना।
- बहुत कम सोना। (और पढ़े – नींद में बोलने की समस्या)
- किसी काम में ध्यान न लग पाना।
- भोजन करने में कठिनाई होना।
- अपने आप को खराब समझ लेना।
गर्भावस्था में डिप्रेशन का इलाज क्या है ? (Pregnancy me Awsaad Ka Ilaj in Hindi)
डिप्रेशन की समस्या अत्यधिक गंभीर नहीं होती है इसलिए यह अपने आप ठीक हो जाती है। लेकिन कुछ गंभीर मामलो में मानसिक रूप से होने पर चिकिस्तक को दिखाना पड़ता है। गर्भवस्था के दौरान अधिक डिप्रेशन का असर शिशु पर नकारात्मक असर होता है। जिससे माँ और बच्चे दोनों को खतरा होता है। अगर आप डिप्रेशन की समस्या से परेशान हो रही है तो आप अपने चिकिस्तक से बात करे। ताकि डिप्रेशन आप पर हावी न हो सके। इसके अलावा आप अपनी समस्या के बारे में अपने पति और घरवाले सदस्यों को खुलकर बताये ताकि आप पर घर वाले नजर रख सके। आपके समस्या बढ़ाने पर मोनोचिकिस्तक से संपर्क कर उपचार करवा सके।
- अवसाद से प्रभावित महिला के उपचार के लिए कुछ निम्न तरीका कर सकते है।
- सबसे पहले मानसिक व भावनात्मक रूप से अपनापन देना।
- चिकिस्तक लाइट थेरेपी देते है ताकि अवसाद को कम कर सके।
- मोनोचिकित्सा उपचार करना।
- कुछ दवाओं के खुराक देना।
गर्भावस्था में डिप्रेशन कैसे शिशु को प्रभावित करता है ? (Pregnancy me Awsaad Kaise Shishu ko Prbhawit Karta Hai in Hindi)
जैसा की आपको आगे हमने बताया डिप्रेशन का उपचार मुमकिन है लेकिन डिप्रेशन से बचाव करना बहुत जरुरी होता है। डिप्रेशन माँ और बच्चे दोनों के जान के लिए खतरनाक होता है। इसलिए डिप्रेशन की समस्या को दूर करने के लिए परिवार व पति को बहुत ध्यान रखना पड़ता है। गर्भावस्था में महिला को जितना हो सके खुश रखना चाहिए। इसके अलावा बहुत प्यार और स्नेह की जरुरत होती है। इससे महिला डिप्रेशन में नहीं जाती है। गर्भवती माँ यदि अवसाद में बच्चे को जन्म देती है तो बच्चे में कुछ समस्या नजर आ सकता है।
- जैसे: बच्चा चुप रहता है या हमेशा घबराता रहता है।
- बच्चा अधिक सोता रहता है।
- अपने उम्र के हिसाब से कम सीखना।
- बच्चे का अच्छा विकास न हो पाना। (और पढ़े – आटिज्म के कारण क्या है)
अगर आपको गर्भावस्था में किसी तरह की समस्या हो रही है तो बिना किसी देरी के स्त्री विशेषज्ञ Gynecologist से संपर्क करना चाहिए।
हमारा उद्देश्य आपको रोगो के प्रति जानकारी देना है हम आपको किसी तरह के दवा, उपचार, सर्जरी की सलाह नहीं देते है। आपको अच्छी सलाह केवल एक चिकिस्तक दे सकता है क्योंकि उनसे अच्छा दूसरा नहीं होता है।