फीटल इको टेस्ट क्या हैं । Fetal Echo Test in Hindi
मार्च 22, 2021 Womens Health 3798 Viewsफीटल इको टेस्ट का मतलब हिंदी में, (Fetal Echo Test Meaning in Hindi)
फीटल इको टेस्ट क्या हैं ?
फीटल इकोकार्डियम को फीटल इको टेस्ट भी कहा जाता है। ये अल्ट्रासाउंड के सामान टेस्ट की तरह होता है, इसमें चिकिस्तक अजन्मे बच्चें के दिल की संरचना व कार्य को देखने के लिए करते हैं। आमतौर यह जांच 18 से 24 सप्ताह के बीच दूसरी तिमाही में किया जाता है। इस टेस्ट में ध्वनि तरंगो का उपयोग किया जाता है जो भूर्ण की दिल की संरचनायो से गुंज करती है। यह ध्वनि उत्पन्न कर दिल के अंदुरनी हिस्से की हस्वीरें दर्शाता है। इसके जरिए चिकिस्तक पता करते है बच्चे का दिल कैसा बना है और दिल अपना कार्य ठीक से कर रहा है या नहीं। इसके अलावा दिल में रक्तप्रवाह हो रहा है या नहीं यह पता लगाता है। चलिए आज के लेख के माध्यम से आपको फीटल इको टेस्ट के बारे में विस्तार से बताने वाले हैं।
- फीटल इको टेस्ट क्यों किया जाता हैं ? (What are the Purpose of Fetal Echo Test in Hindi)
- फीटल इको टेस्ट से पहले की तैयारी ? (Prepare Before Fetal Echo Test in Hindi)
- फीटल इको टेस्ट कैसे किया जाता हैं ? (What are the Procedure of Fetal Echo Test in Hindi)
- फीटल इको टेस्ट के क्या परिणाम आ सकते हैं ? (What do the Result of Fetal Echo Test mean in Hindi)
- भारत में फीटल इको टेस्ट की कीमत क्या हैं ? (What is Cost of Fetal Echo Test in India in Hindi)
फीटल इको टेस्ट क्यों किया जाता हैं ? (What are the Purpose of Fetal Echo Test in Hindi)
गर्भावस्था में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य व दिल की गतियों पर नजर रखने के लिए आमतौर पर अल्ट्रासाउंड किया जाता है। फीटल अल्ट्रासाउंड के माध्यम से अजन्मे शिशु के सिर, दिल व रीढ़ की हड्डी व अन्य भागो को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इसके अलावा दिल में होने वाली खून की सप्लाई अन्य भागो में हो रही है या नहीं आदि का पता लगाते हैं।
कुछ अन्य स्तिथियो में फीटल इको टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं।
- जैसे – भ्रूण में कोई अनुवांशिक विकार का विकास हो रहा हो।
- गर्भधारण करने वाली महिला को पहले से डायबिटीज या अन्य बीमारी हो।
- माँ को कोई दुर्लभ बीमारी हो जिसमे भ्रूण पर बुरा प्रभाव पडे।
- गर्भवती महिला को पहले तिमाही में रूबेला की शिकायत होना।
- गर्भावस्था के दौरान सामान्य जांच में परिणाम एब्नार्मल आने पर शिशु की दिल की गति असामान्यता की जानकारी होना।
- परिवार में दिल की बीमारी का इतहास रहा हो।
- आपने पहले से ही हृदय की स्थिति वाले बच्चे को जन्म दिया है।
- गर्भावस्था के दौरान महिला शराब या नशीले दवा का उपयोग किया हो। (और पढ़े – गर्भावस्था के दौरान पेरो में सूजन की समस्या)
फीटल इको टेस्ट से पहले की तैयारी ? (Prepare Before Fetal Echo Test in Hindi)
अन्य टेस्ट की तरह फीटल इको टेस्ट में खली पेट रहने की जरुरत नहीं होता है। आप अपनी पसंद से कुछ भी खा-पी सकते है। महिला को कोई विशेष तैयारी करने की आवश्यकता नहीं है। आपको जांच कराने के पहले ढीले ढाले कपडे पहनने होते है। चिकिस्तक आपके पेट पर जेल लगाते है इसलिए किसी तरह का लोशन या क्रीम पेट पर न लगाएं। जांच के लिए मूत्राशय त्याने की जरूरत नहीं होती है जांच के बाद मूत्राशय खाली कर सकते हैं। इस बात का ध्यान रखे आपको किसी दवा से एलर्जी है तो चिकिस्तक से खुलकर बात करें। (और पढ़े – बायोप्सी कैसे किया जाता हैं)
फीटल इको टेस्ट कैसे किया जाता हैं ? (What are the Procedure of Fetal Echo Test in Hindi)
फीटल इको टेस्ट के दौरान गर्भवती महिला को बेड पर लेटाया जाता है और महिला के पेट पर जेल लगाया जाता है। जेल लगाने से भ्रूण की साफ तस्वीरें मॉनिटर पर नजर आती है साथ शिशु के अंग व चेहरे को साफ देखा जा सकता हैं। फीटल इको टेस्ट निम्न तरीके से किया जा सकता हैं।
- द्वि – आयामी इकोकार्डियोग्राफी – इस प्रक्रिया के माध्यम से दिल की अनेक संरचनाओं व बनावट का पता लगाया जाता हैं।
- डॉप्लर इकोकार्डियोग्राफी – इस प्रक्रिया के माधयम से शिशु के शरीर में रक्त प्रवाह के बारे में जानकारी लेते है। इसके अलावा दिल में हो रहे रक्तप्रवाह की गति का पता लगाते है।
फीटल इकोकार्डियोग्राफी सामान्यतौर पर अल्ट्रासाउंड की तरह है। इसमें निकलने वाले तरंग पेट को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचाते है, केवल जेल लगाने पर महिला को ठंडा का अनुभव हो सकता हैं। चिकिस्तक के मुताबिक इस जांच से माँ और शिशु के शरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता हैं। शिशु की दिल की सही तस्वीरें लेने में चिकिस्तक को आधा घंटा से दो घंटो तक का समय लग सकता है। बहुत से मामलो से गर्भ में शिशु का पोजीशन सही न होने पर तस्वीरें लेने में अधिक समय लग जाता हैं। (और पढ़े – गर्भावस्था में तनाव की समस्या)
फीटल इको टेस्ट के क्या परिणाम आ सकते हैं ? (What do the Result of Fetal Echo Test mean in Hindi)
फीटल इको टेस्ट के बाद उसके परिणाम कई मामलो में उसी दिन आ जाते है। टेस्ट के बाद चिकिस्तक बताते है परिणाम नार्मल है या नहीं। हालांकि इस टेस्ट में केवल भ्रूण के हृदय की असामान्यता का पता लगाया जाता है। यदि शिशु के दिल में छेद है तो इसका पता फीटल इको टेस्ट के माध्यम से नहीं लगाया जा सकता हैं।
- नार्मल रिजल्ट – यदि भ्रूण के हृदय में किसी तरह की असामान्यता न मिलने पर परिणाम को सामान्य यानि नार्मल कहा जाता हैं।
- एब्नार्मल रिजल्ट – यदि दिल की धड़कन सही तरीके से काम नहीं करती है या संरचना सही न हुई हो या किसी तरह की विकार होने पर परिणाम को असामान्य यानि एब्नार्मल कहा जाता हैं।
यह परिणाम केवल आपको समझाने के लिए बताना गया है। आपके चिकिस्तक टेस्ट के बाद परिणाम के बारे अच्छे से समझाएंगे क्या करना उचित है या दोबारा जांच कर सकते हैं। (और पढ़े – नार्मल डिलीवरी क्या हैं)
भारत में फीटल इको टेस्ट की कीमत क्या हैं ? (What is Cost of Fetal Echo Test in India in Hindi)
भारत में फीटल इको टेस्ट कराने का कुल खर्च लगभग INR 1600 से INR 3500 तक लग सकता है। हालांकि भारत में बहुत से लैब है जिनमे फीटल इको टेस्ट की कीमत अलग-अलग हो सकती है। (और पढ़े – एंडोस्कोपी क्यों किया जाता हैं)
हमें आशा है की आपके प्रश्न फीटल इको टेस्ट क्या हैं ? का उत्तर इस लेख के माध्यम से दे पाएं।
अगर आपको फीटल इको टेस्ट के बारे अधिक जानकारी व जांच करवाना हो, तो Gynecologist से संपर्क कर सकते हैं।
हमारा उद्देश्य केवल आपको लेख के माध्यम से जानकारी देना है। हम आपको किसी तरह दवा, उपचार की सलाह नहीं देते है। आपको अच्छी सलाह केवल एक चिकिस्तक ही दे सकता है। क्योंकि उनसे अच्छा दूसरा कोई नहीं होता है।